राजनीति में कभी न थी कोइ रुचि न था कोइ चाव
घर बैठ छुट्टी मनाता था आते थे जब चुनाव
सोचता था नहीं हो सकता मेरे वोट से कोइ बदलाव
चाहे जीते कोइ पार्टी भड़ते रहेँगे चीजोँ के भाव
नेता जाते थे गली महौल्ले खेलतें थे नये नये दाव
कुछ लोगो की रोजी रोटी बन गये थे ये चुनाव
'आप' ने आके बदल दी तस्वीर बदल दिये लोगो के हाओ भाव
लोगो को लगा कि उनका वोट भी है ज़रूरी ला सकता है बदलाव
देके अपना कीमती वोट करेंगे मजबूत सरकार का चुनाव
बनाएंगे भारत को मजबूत न रहेगा देश मे कोइ आभाव।