ज़िन्दगी ने मूझे इतना व्यस्त कर दिया
मानो मुझे खुद से ही दूर कर दिया
सुख चैन पाने को मैंने क्या क्या नहीं किया
पीछे भाग भाग इनके सारा समय खर्च कर दिया
खुद की चाहतो को कभी वक़्त न दिया
दुनिया दारी निभाते निभाते ही सारा वक़्त निकल गया
क्या कभी मैंने खुद को मुस्कुराने का कारण दिया
या खुद से कभी हसने का वादा किया
आज ये आलम है देखो समक्ष मेरे आ गया
जहाँ एक छोटी सी कविता लिखने को भी मैं तरस गया
आइना भी देख मुझे नजरे चुराने लग गया
दिखा रहा क्या पाया मैंने और क्या चला गया
ज़िन्दगी ने कभी ख़ुशी दी और कभी गम दिया
सोचता हूँ मैंने खुद को और ज़िन्दगी को क्या दिया
-Poem by Peeyush
No comments :
Post a Comment