कोई राह दिखा ऐ ज़िन्दगी
कब तक मैं भटकता रहूँगा
कब तक सवाल ए ज़िन्दगी को
युहीं अकेला खोजता रहूँगा
आया कैसे इस दुनिया में बनके अजनबी
कैसे एक दिन चला जाऊँगा
बन गए कितने रिश्ते दुनिया में
उन सब को पीछे छोड़ जाऊंगा
कैसे मिले सुख कैसे आई जीवन में ख़ुशी
क्या इस पहेली को कभी समझ पाऊंगा
क्या मकसद था मेरा क्या मंजिल थी पानी
क्या अपनी मंजिल हासिल कर पाऊंगा
अपनों से मिली जो ख़ुशी
क्या उन्हें भी कभीं लौटा पाऊंगा
एहसान थोड़ा कर मुझपे ऐ ज़िन्दगी
वक़्त दे इतना की थोड़ी ख़ुशीया अपने साथ के जाऊँगा
कब तक मैं भटकता रहूँगा
कब तक सवाल ए ज़िन्दगी को
युहीं अकेला खोजता रहूँगा
आया कैसे इस दुनिया में बनके अजनबी
कैसे एक दिन चला जाऊँगा
बन गए कितने रिश्ते दुनिया में
उन सब को पीछे छोड़ जाऊंगा
कैसे मिले सुख कैसे आई जीवन में ख़ुशी
क्या इस पहेली को कभी समझ पाऊंगा
क्या मकसद था मेरा क्या मंजिल थी पानी
क्या अपनी मंजिल हासिल कर पाऊंगा
अपनों से मिली जो ख़ुशी
क्या उन्हें भी कभीं लौटा पाऊंगा
एहसान थोड़ा कर मुझपे ऐ ज़िन्दगी
वक़्त दे इतना की थोड़ी ख़ुशीया अपने साथ के जाऊँगा
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