Wednesday 30 January 2013

समानता का कैसा इनाम

DICLAIMER: This poem is written targetting a small section of girls who thinks doing wrong things make them equivalent to boys. This is not to hurt anyone's feeling.

लड़का लड़की एक सामान
पर ये समानता का कैसा इनाम

हाथ में सिगरेट चेहरे पे मुस्कान
ये समानता का कैसा इनाम ....

गन्दी आदतों में सोचे अपनी शान
ये समानता का कैसा इनाम

न कोई शर्म न बड़ो का मान
ये समानता का कैसा इनाम

मुश्किल में बन जाये नाजुक नादान
ये समानता का कैसा इनाम

चलाएंगे गाड़ी चाहे न हो चलाने  का ज्ञान
ये समानता का कैसा इनाम

करके नक़ल लडको की माने खुद को सामान
ये समानता का कैसा इनाम

देख के इस परिभाषा को रह गया मैं हैरान
ये समानता का कैसा इनाम

लड़का लड़की एक सामान
पर ये समानता का कैसा इनाम


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