बड़े उतावले थे यहाँ से जाने को
ज़िन्दगी का अगला पड़ाव पाने को
पर न जाने क्यों दिल में आज कुछ और आता है
वक़्त को आज रोकने को जी चाहता है
जिन बातोें पे रोया करते थे आज उनपे हंसी आती है
न जाने क्यों आज उन पलो की याद सताती है
कहा करते थे मुश्किल से चार साल सह गया
जैसे तैसे मुश्किलो भरा घूँट पी गया
पर आज क्यों लगता है मानो कुछ पीछे छूट रहा
चार साल का घरोंदा अचानक टूट रहा
अब कौन रात भर साथ जाग कर पढ़ेगा
कौन जाके नाईट कैंटीन में मैग्गी का आर्डर करेगा
मैं अब बिना मतलब किस से लड़ पाऊंगा
बिना टॉपिक किस से फालतू घंटो बात कर पाऊंगा
कौन फ़ैल होने पे दिलासा देना आएगा
कौन गलती से अच्छे नंबर आने पे गालियां सुनाएगा
कहते थे बोरिंग लेक्चर झेले नहीं जाते
ये टीचर है की रसोइये जो इतना है पकाते
जो क्लास हमेशा डराती थी
आज उसकी खाली बेंचे बुलाती है
कैंटीन में बने समोसों की महक
आज भी बड़ा लुभाती है। .
पर सच है की वक़्त कभी रुकता नहीं है
कॉलेज में बिताया पल ज़िन्दगी भर भूलता नहीं है
यारोें जा रहे है यहाँ से है आख्ररी दिन जाना तो होगा
परउम्मीद है हमे की ज़िन्दगी के अगले पड़ाव पे भी साथ तुम्हारा होगा
कॉलेज की यादोें का पिटारा हमेशा साथ होगा
ये बिताये चार साल हमारे जीने का सहारा होगा।
- Poem By Peeyush n Friends
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